आज मंगलवार यानी कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का संयोग। ज्योतिष के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 11 की शाम को 5.55 से शुरु होकर अगले दिन 12 नवंबर को शाम 7.03 पर समाप्त होगी।
भगवान शिव के प्रिय व्रतों में से एक है प्रदोष व्रत। इस व्रत से वे सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं और व्रती द्वारा चाही गई इच्छा पूरी करते हैं। यदि आप जीवन में कुछ विशेष पाना चाहते हैं
वर्ष में तीन बार विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त आते हैं। जिसमें बसंत पंचमी, देवउठनी एकादशी व फुलैरा दौज शामिल हैं। आठ नवंबर को देवउठनी एकादशी है।
चार माह की योग निद्रा से भगवान विष्णु के जागने का दिन होता है देवउठनी एकादशी। इसे देवोत्थान एकादशी या देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
अक्षय नवमीं को आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है। यह इस वर्ष 5 नवंबर 2019 को मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पूजन का विधान है।
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार गाय का गोबर परमाणु विकिरण को कम कर सकता है। गाय के गोबर में अल्फा, बीटा और गामा किरणों को अवशोषित करने की क्षमता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार - कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था|
धनतेरस 25 अक्टूबर 2019 के दिन मनाई जाएगी, धनतेरस पर राशि के अनुसार पूजा (करने से धन की कमी कभी नहीं होती
इस साल धनतेरस के दिन 100 साल के बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है, जिसमें धनतेरस पर शुक्रवार व प्रदोष समेत ब्रह्म व सिद्धि योग रहेंगे। इससे पहले 1 नवंबर 1918 में ही ऐसा महासंयोग बना था।
संसार भर में लोग इस समय प्रकाश का पर्व दिवाली मनाने की तैयारी कर रहे हैं। पूरब के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली बुराई पर अच्छाई के
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। इस दिन खरीददारी की जाती है और लक्ष्मी का विशेष रूप से पूजन कर आगामी समय में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
इस बार धनतेरस पर लग्नादि, चंद्र मंगल, सदा संचार और अष्टलक्ष्मी फलदायी शुभ संयोग बन रहा है। दो दिन खरीदारी का भी योग बना है।
शास्त्रों में एकादशी का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। दिवाली से पहले कार्तिक कृष्ण एकादशी का बड़ा महत्व है
संतान की दीर्घायु और कल्याण के लिए माताएं अहोई अष्टमी का व्रत सोमवार को रखेंगी। दिनभर व्रत रखकर माताएं सोमवार को तारामंडल के उदय होने पर तारों को अध्र्य देकर व्रत खोलेंगी
सूर्य के कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करने को तुला संक्रांति कहा जाता है। यह हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक महीने में आती है