Welcome to Shree Shanidham Trust

100 साल के बाद ऐसा महासंयोग: धनतेरस विशेष फलदायक

Submitted by Shanidham

इस साल धनतेरस के दिन 100 साल के बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है, जिसमें धनतेरस पर शुक्रवार व प्रदोष समेत ब्रह्म व सिद्धि योग रहेंगे। इससे पहले 1 नवंबर 1918 में ही ऐसा महासंयोग बना था।
इस साल धनतेरस 25 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवन्तरि का जन्म हुआ था। धनतेरस के अलावा इस त्योहार को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमलोक के राजा यमराज की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार धनतेरस के दिन कुबेर और लक्ष्मी की साथ पूजा करने से आपके घर पर कृपा रहती है। यह त्योहार दिवाली से 2 दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को दीपावली है और 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। वहीं 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी है।
100 साल बाद बना ऐसा संयोग* 
इस साल धनतेरस के दिन 100 साल के बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है, जिसमें धनतेरस पर शुक्रवार व प्रदोष समेत ब्रह्म व सिद्धि योग रहेंगे। इससे पहले 1 नवंबर 1918 में ही ऐसा महासंयोग बना था। 
खास बात यह है कि भगवान कुबेर को धनाध्यक्ष की उपाधि भगवान शिवजी की कृपा से ही धनतेरस के दिन प्राप्त हुई थी। इस दिन जो भी शुभ कार्य या खरीदी की जाए वह समृद्धिकारक होती है। धनतेरस पर शाम को लक्ष्मी और कुबेर की पूजा व यम दीपदान किया जाता है।
आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि हैं हाथ में अमृत कलश लिए मंथन के दौरान उनका प्राकट्य हुआ धनतेरस के दिन धनवंतरी का जन्म मनाया जाता है धनवंतरी के हाथों में चार नदियों में अमृत बूंदे छलके से कुंभ मेले का प्रादुर्भाव हुवा। सुश्रुत सहिंसा और पुराणों के अनुसार मृत्युलोक में पुनः काशीनरेश धन्व के यहा पुत्र रूप में जन्म लिया। 
धनतेरस शुभ विशेष मुहूर्त्त
शाम 5: 10 से 8:15 तक (प्रदोष काल)
सर्वश्रेष्ठ 5:59 से गोधूलिक वेला
पूजा का शुभ मुहूर्त है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और उनके बाद लक्ष्मी को फूल और अक्षत के साथ चंदन लगाएं। बाद में दक्षिण दिशा की ओर यमराज को जल दें। तिल का तिल जलाकर सभी की आरती करें। पूजा के पश्चात अनाज का दान करें।
ये है विशेष चंद्र मंगल, अष्टलक्ष्मी फलदायी