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शिवाष्टक

शिवाष्टक शिव जी की आराधना में पढ़ा जाने वाला प्रभावशाली स्तोत्र है। शास्त्रों में इसे रुद्राष्टक भी कहते हैं। इस स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी। तुलसी दास जी ने भी ‘राम चरित मानस’ में शिवाष्टक का वर्णन किया है। इसे आठ पदों में विभाजित किया गया है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली विपदाएँ दूर हो जाती हैं। श्रावण में यदि कोई शिव भक्त शिवाष्टक का पाठ करे तो उस व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है।
शिवाष्टक
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 1 ॥
 
 
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम् । जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 2॥
 
 
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् । अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 3 ॥
 
 
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् । गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 4 ॥
 
 
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् । परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 5 ॥
 
 
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् । बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 6 ॥
 
 
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् । अपर्णा कलत्रं
सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 7 ॥
 
 
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं। श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 8 ॥
 
 
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् । सुपुत्रं सुधान्यं
सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥
 
 
शिवाष्टक स्तोत्र की पाठ विधि
• प्रातः काल या प्रदोष काल में इसका पाठ करना चाहिए।
• पहले शिव जी को प्रणाम करके उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
• इसके बाद स्तोत्र का पाठ करें।
• शिवाष्टक का पाठ सोमवार के दिन करना चाहिए।
• पाठ करते समय महादेव का ध्यान करना चाहिए।
शंकर जी की पूजा करते समय इन बातों अवश्य रखें ध्यान
• सबसे पहले भगवान् गणेश की पूजा अवश्य करें।
• शिवजी की पूजा सप्ताह में एक बार शिव मंदिर में जाकर अवश्य करें।
• भगवान् शिव को दूध, बिल्व पत्र, धतूरा भांग अर्पित करें।
• भगवान शिव को नारियल का पानी, हल्दी, केतकी के फूल, और कुमकुम कभी भी नहीं चढ़ाना चाहिए।