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Pashupat Stotra

पाशुपत्-स्तोत्र का अमोघ प्रयोग

यह स्तोत्रा अग्नि पुराण के 322 वें अधयाय से लिया गया है। यह अत्यन्त प्रभावशाली व शीघ्र फलदायी प्रयोग है। यदि मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ गुरू के निर्देशानुसार संपादित करे तो  अवश्य फायदा मिलेगा। शनिदेव शिव भक्त भी हैं और शिव के शिष्य भी हैं। शनि के गुरु शिव होने के कारण इस अमोघ प्रयोग का प्रभाव और अधिाक बढ़ जाता है। यदि किसी साधारण व्यक्ति के भी गुरु की कोई आवभगत करें तो वह कितना प्रसन्न होता है। फिर शनिदेव अपने गुरु की उपासना से क्यों नहीं प्रसन्न होंगे। इस स्तोत्र के पाठ से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और शिव की प्रसन्नता से शनिदेव खुश होकर संबंधित व्यक्ति को अनुकूल फल प्रदान करते हैं। साथ ही एक विशेषता यह भी परिलक्षित होती है कि संबंधित व्यक्ति में ऐसी क्षमता आ जाती है कि वह शनिदेव के द्वारा प्राप्त दण्ड भी बड़ी सरलता से स्वीकार कर लेता है। साथ ही वह अपने जीवन में ऐसा कोई अशुभ कर्म भी नहीं करता जिससे उस पर शनिदेव भविष्य में भी नाराज हों।

जैसा कि इसका नाम अमोघ प्रयोग है, उसी प्रकार यह किसी भी कार्य के लिए अमोघ राम बाण है। अन्य सारी बाधाओं को दूर करने के साथ ही युवक-युवतियों के लिए यह अकाटय प्रयोग माना ही नहीं जाता अपितु इसका अनेक अनुभूत प्रयोग किया जा चुका है। जिस वर या कन्या के विवाह में विलंब होता है, यदि इस पाशुपत-स्तोत्रा का प्रयोग जैसा कि बताया गया है 1008 की संख्या में पाठ करने के बाद दशांश, हवन, तर्पण एवं मार्जन कर यथा शक्ति ब्राह्मण भोजन कराकर पूर्णाहुति करें तो निश्चित रूप से शीघ्र ही उन्हें दाम्पत्य सुख का लाभ मिलता है। केवल इतना ही नहीं, अन्य सांसारिक कष्टों को दूर करने के लिए भी 1008 पाठ या जप, हवन, तर्पण, मार्जन आदि करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

मंत्र पाठ

पाशुपतास्त्र स्त्राोत का 21 दिन नियमित सुबह-शाम 21-21 पाठ प्रतिदिन करें। साथ ही नीचे लिखे स्तोत्र का एक सौ आठ बार अवश्य जाप करें और सुबह या शाम को इस मंत्रा की 51 आहुतियां काले तिल से हवन अवश्य करें।

विनियोग

्र अस्य श्री पाशुपतास्त्राशान्तिस्तोत्रास्य भगवान् वेदव्यासऋषि: अनुष्टुप छन्द: श्रीसदाशिवपरमात्मा देवता सर्वविघ्नविनाशार्थे पाठे विनियोग:।

मंत्रापाठ

्र नमो भगवते महापाशुपताय, अतुलवीर्यपराक्रमाय, त्रिापंचनयनाय, नानारूपाय, नानाप्रहरणोद्यताय, सर्वांगरंक्ताय, मनीसांजनचयप्रख्याय,श्मशानवेतालप्रियाय, सर्वविघ्न- निकृन्तनरताय, सर्वसिध्दिप्रदाय, भक्तानुकंपिनेऽसंख्यवक्त्राभुज- पादाय, तस्मिन् सिध्दाय, वेतालवित्राासिने, शाकिनी क्षोभजनकाय, व्याधिानिग्रहकारिणे पापभंजनाय, सूर्यसोमाग्निर्नत्रााय, विष्णुकवचाय, खड्गवज्रहस्ताय, यमदंडवरुणपाशाय, रुद्रशूलाय,ज्वलज्जिह्वाय, सर्वरोगविद्रावणाय, ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनाशक्षयकारिणे।

्र कृष्णपिंगलाय फट्। हुंकारास्त्रााय फट्। वज्रहस्ताय फट्। शक्तये फट्। दंडाय फट्। यमाय फट्। खड्गाय फट्। निर्ऋतये फट्। वरुणाय फट्। वज्राय फट्। पाशाय फट्। धवजाय फट्। अंकुशाय फट्। गदाय फट्। कुबेराय फट्। त्रिाशूलाय फट्। मुद्गाय फट्। चक्राय फट्। पद्माय फट्। नागास्त्रााय फट्। ईशानाय फट्। खेटकास्त्रााय फट्। मुंडाय फट्। मुंडास्त्रााय फट्। कंकालाख्याय फट्। पिच्छिकास्त्रााय फट्। क्षुरिकास्त्रााय फट्। ब्रह्मास्त्रााय फट्। शक्त्यस्त्रााय फट्। गणास्त्रााय फट्। सिध्दास्त्रााय फट्। पिलिपिच्छास्त्रााय फट्। गंधार्वास्त्रााय फट्। पूर्वास्त्रााय फट्। दक्षिणास्त्रााय फट्। वामास्त्रााय फट्। पश्चिमास्त्रााय फट्। मंत्राास्त्रााय फट्। शाकिन्यस्त्रााय फट्। योगिन्यस्त्रााय फट्। दंडास्त्रााय फट्। महादंडास्त्रााय फट्। नमोऽस्त्रााय फट्। शिवास्त्रााय फट्। ईशानास्त्रााय फट्। पुरुषास्त्रााय फट्। आघोरास्त्रााय फट्। सद्योजातास्त्रााय फट्। हृदयास्त्रााय फट्। महास्त्रााय फट्। गरुड़ास्त्रााय फट्। राक्षसास्त्रााय फट्। दानवास्त्रााय फट्। क्षौंनरसिंहास्त्रााय फट्। त्वष्ट्स्त्रााय फट्। सर्वास्त्रााय फट्। न: फट्। व: फट्। प: फट्। फ: फट्। भ: फट्। श्री: फट्। पै: फट्। भू: फट्। भुव: फट्। स्व फट्। मह: फट्। जन: फट्। तप: फट्। सत्यं फट्। सर्वलोक फट्। सर्वपाताल फट्। सर्वतत्तव फट्। सर्वप्राण फट्। सर्वनाड़ी फट्। सर्वकारण्ा फट्। सर्वदेव फट्। द्रीं फट्। श्रीं फट्। हूं फट्। स्त्राुं फट्। स्वां फट्। लां फट्। वैराग्याय फट्। कामास्त्रााय फट्। क्षेत्रापालास्त्रााय फट्। हुंकारास्त्रााय फट्। भास्करास्त्रााय फट्। चन्द्रास्त्रााय फट्। विघ्नेश्वरास्त्रााय फट्। गौ: गा: फट्। स्त्राौं स्त्राौं फट्। भ्रामय भ्रामय फट्। संतापय संतापय फट्। छादय छादय फट्। उन्मूलय उन्मूलय फट्। त्राासय त्राासय फट्। संजीवय संजीवय फट्। विद्रावय विद्रावय फट्। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट्॥

इन मंत्राों का 1008 की संख्या में पाठ करने के उपरांत प्रतिदशांश हवन, तर्पण एवं मार्जन भी विधिपूर्वक करें।