गणेश मंत्र: जानें महत्व और इसके लाभ के बारे में
गणेश मंत्र का जाप करने से व्यक्ति अपने विभिन्न दुखों से निजात पा सकता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश जी को एक ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो अपने भक्तों के सभी दुखों को हर लेते हैं। इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता यानी की सभी विघ्नों को हरने वाला भी कहा गया है। हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी अपने शुभ कार्य को शुरु करने से पहले गणेश की पूजा अर्चना अवश्य करते हैं। माना जाता है की गणेश जी को शिव जी से वरदान मिला था जिसके अनुसार सभी देवी देवताओं से पहले उनकी पूजा अर्चना होती है। इसलिए गणेश की पूजा और मन्त्रों के उच्चारण का विशेष महत्व है। गणेश जी को सुख समृद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। आज इस लेख के जरिये हम आपको गणेश जी के मंत्र जाप से होने वाले लाभ और उसके महत्वों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
गणेश जी और उनके मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?
गणपति मंत्र की उत्पत्ति के बारे में जानने से पहले इस बारे में जानना बेहद आवश्यक है की लम्बोदर विनायक श्री गणेश की उत्पत्ति कैसे हुई। पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी को माता पार्वती ने अपने हाथों से बनाया था। उनके जन्म के बाद माता पार्वती स्नान के लिए जा रही थी और उन्होनें बाल गणेश से द्वार पर पहरा देने और किसी को अंदर ना आने देने का सख्त फरमान दिया। इसी बीच शिव जी वहां आ पहुंचे और अपने पिता से अनजान गणेश जी ने शिव जी को भी अंदर नहीं जाने दिया। इस बात से क्रोधित होकर भोलेनाथ ने बाल गणेश के सिर को धड़ से अलग कर दिया। लेकिन जब इस बात का ज्ञान माता पार्वती को हुआ तो उन्होंने तुरंत ही शिव जी से किसी भी प्रकार से गणेश जी को जिंदा करने की मांग की। माता पार्वती को रोते बिलखते देख शिव जी ने तुरंत ही अपने सेवकों को आदेश दिया की उन्हें जो भी पहला जीव मिले उसकी गर्दन काटकर ले आओ। उनके सेवकों को सबसे पहले एक हाथी दिखा इसलिए वे हाथी का सिर काट लाये और शिव जी ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हे जीवित कर दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया की आज के बाद सम्पूर्ण संसार के लोग सबसे पहले तुम्हारी पूजा करेंगे उसके बाद ही किसी अन्य देवी देवता की पूजा होगी। उस दिन के बाद से सभी विघ्नों को हरने वाले गणेश जी की पूजा अर्चना की जाने लगी और उनके मंत्रों का जाप भी किया जाने लगा। भक्त जन अपने दुखों के निवारण के लिए गणेश जी की पूजा अर्चना करने लगे। गणेश जी को इस प्रकार से सर्वप्रथम पूजा जाने लगा और इसके साथ ही उनके मंत्रों का जाप भी किया जाने लगा।
गणपति मंत्र और उससे मिलने वाले लाभ निम्नलिखित है
श्री गणपति मंत्र - ॐ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
लाभ : किसी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी के इस मंत्र का जाप करना विशेष फलफदायी साबित होता है और काम में सफलता प्राप्त होती है।
ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
लाभ: गणेश जी के इस मंत्र का जाप कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
श्री गणेश बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नमः ।।
लाभ: गणेश जी के इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि विकसित होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
लाभ: गणेश जी के इस मंत्र का जाप खासतौर से गणेश जी की पूजा से पहले उनका आहवाहन करते हुए इस मंत्र का जाप किया जाना चाहिए।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
लाभ: गणेश जी को रिद्धि सिद्धि का देवता भी माना जाता है, लिहाजा उनके इस मंत्र का जाप करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है।
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
लाभ: मांगलिक कार्यों को करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी के इस मंत्र का जाप लाभकारी साबित हो सकता है।
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत।
लाभ: गणेश पूजा के दौरान खासतौर से इस मन्त्र का जाप करते हुए उन्हें धूप दीप दिखाना चाहिए।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् |
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
लाभ: गणेश पूजन के समय इन मंत्रों का जाप करते हुए गणेश जी को सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू |
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद।
लाभ: गणेश पूजन के दौरान इन मन्त्रों का जाप करते हुए गणेश जी को प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||
लाभ: गणेश जी पूजा के समय उन्हें माला अर्पित करते समय उपरोक्त मंत्र का जाप किया जाना चाहिए। इससे गणेश पूजन विधि पूर्वक संपन्न होती है और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम् |
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ||
लाभ: प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गणेश जी के इस मन्त्र का जाप करने से उनका ख़ास आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं।
गणेश जी के तीन प्रमुख मंत्र और उसका अर्थ निम्नलिखित है :
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि हे टेढ़ी सूंढ़ और विशालकाय शरीर वाले करोड़ों सूर्य की तरह चमकने वाले भगवान श्री गणेश आप मुझपर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें ताकि मेरे किसी भी काम में कोई बाधा ना आये और सफलता पूर्वक मेरे सारे कार्य संपन्न हो सकें। आपकी शुभ दृष्टि मुझपर सदा बनी रहे।
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
अर्थ: इस मंत्र को गणेश जी के बीज मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस विशिष्ट मंत्र का अर्थ है, हे विनायक श्री गणेश आपकी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद मुझे हर जन्म में मिलता रहे और आपके आशीर्वाद से मैं एक सुखी और स्वास्थ्यवर्धक जीवन बिता सकूँ। मुझे ऐसा सौभाग्य प्रदान करें जिससे मेरे जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाएँ।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
अर्थ: इस मंत्र को गणेश जी के गायत्री मन्त्र के रूप में भी जाना जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि, हे एकदन्त भगवान श्री गणेश आप सर्वव्यापी हैं, आपकी सूंढ़ हाथी के सूंढ़ के सामान मुड़ी हुई है। हम आपसे समृद्धि की कामना करते हैं। हम आपसे कामना करते हैं की हमारे मन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान से उसे प्रकाशित करें।
गणेश जी का मंत्र जाप करते समय इन बातों का विशेष ध्यान
मन्त्र जाप के लिए जिस माला का प्रयोग करने जा रहें उसकी शुद्धि अवश्य कर लें।
मंत्र जाप करने से पहले स्नान कर साफ़ सुथरे वस्त्र ही धारण करें।
गणपति मंत्र जाप शुरू करने से पहले आसान बिछाना और धूप अगरबत्ती आदि जलाना बिल्कुल ना भूलें।
मंत्र जाप करने से पहले गणेश जी का ध्यान करना कदापि ना भूलें।
आप जिस कार्य की सिद्धि के लिए मंत्र जाप करने जा रहे हैं उसका संकल्प अवश्य लें।
मंत्र जाप हमेशा वज्रासन मुद्रा में करना ही लाभकारी साबित होता है।
गणेश जी के मंत्रों का जाप विशेष रूप से सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में करना फलदायी साबित होता है।
मंत्र जाप के लिए एक नियत स्थान और नियमित समय का अनुसरण करना बेहद आवश्यक माना जाता है।
गणेश मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष और तुलसी की माला का ही प्रयोग करें।
मंत्र जाप के लिए हमेशा शांत जगह का चुनाव करें और ध्यान मुग्ध होकर ही मंत्रों का जाप करें।
धीमी आवाज में शुद्धता के साथ ही मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
जितनी बार मंत्र जाप का संकल्प लें उसे पूरा जरूर करें।
इस प्रकार से आप भी गणेश जी के विशेष मंत्रों का जाप कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।