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श्री शनिदेव की आरती

कर्मफल दाता श्री शनिदेव की भक्ति और आरती करने से हर प्रकार के कष्टों का शमन हो जाता है। श्री शनिदेव को काला कपड़ा और लोहा बहुत प्रिय है। उन्हें आक का फूल बहुत भाता है। शनिवार और अमावस्या तिथि को उनको उड़द, गुड़, काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाना लाभप्रद रहता है। श्रद्धापूर्वक उनकी आरती करने से सब प्रकार की प्रतिकूलताएं समाप्त हो जाता हैं।
दोहा
जय गणेश, गिरजा, सुवन,मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि,कीजै नाथ निहाल।।
 जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहं विनय महाराज।
 करहं कृपा रक्षा करो, राखहुं जन की लाज।।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
प्रेम विनय से तुमको ध्याऊं, सुधि लो बेगि हमारी।।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
देवों में तुम देव बड़े हो, भक्तों के दुख हर लेते।
रंक को राजपाट, धन-वैभव, पल भर में दे देते।
तेरा कोई पार न पाया तेरी महिमा न्यारी।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
वेद के ज्ञाता, जगत-विधाता तेरा रूप विशाला।
कर्म भोग करवा भक्तों का पाप नाश कर डाला।
यम-यमुना के प्यारे भ्राता, भक्तों के भयहारी।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
स्वर्ण सिंहासन आप विराजो, वाहन सात सुहावे।
श्याम भक्त हो, रूप श्याम, नित श्याम ध्वजा फहराये।
बचे न कोई दृष्टि से तेरी, देव-असुर नर-नारी।।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
उड़द, तेल, गुड़, काले तिल का तुमको भोग लगावें।
लौह धातु प्रिय, काला कपड़ा, आक का गजरा भावे।
त्यागी, तपसी, हठी, यती, क्रोधी सब छबी तिहारी।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।
शनिवार प्रिय शनि अमावस, तेलाभिषेक करावे।
शनिचरणानुरागी मदन तेरा आशीर्वाद नित पावे।
छाया दुलारे, रवि सुत प्यारे, तुझ पे मैं बलिहारी।
आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।