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दीयों की जगमगाहट में ‘देव’ करेंगे भगवान ‘विष्णु’ की आराधना

Submitted by Shanidham

आज कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली का संयोग
आज मंगलवार यानी कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का संयोग। ज्योतिष के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 11 की शाम को 5.55 से शुरु होकर अगले दिन 12 नवंबर को शाम 7.03 पर समाप्त होगी। इस बीच सभी शुभ कार्यों में उत्तम भरणी नक्षत्र रहेगा। जिससे पूर्णिमा और भी पुण्यदायी बनेगी। कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार को है। इसी दिन गुरु नानक जयंती भी है। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत, दान व पूजन का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान एवं तीर्थ स्थान पर स्नान दान का बड़ा महत्व है। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और गंगा स्नान कर दान करने से अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का प्रथम मत्स्यावतार हुआ था। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सोनपुर में गंगा गंडकी के संगम पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था। गज की करुणामई पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने ग्राह का संहार कर भक्त की रक्षा की थी। यही नहींए भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध किया था। इसकी खुशी में देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे। इसीलिए इस दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। इस दिन घर में दीपक जलाने से पुण्य मिलता है और जीवन में ऊर्जा का संचार भी होता है। लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
कहा जाता है कि लक्ष्मी नारायण की पूजा आषाढ़ शुक्ल एकादशी से भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में लीन होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागरण से प्रसन्न होकर समस्त देवी-देवताओं ने पूर्णिमा को लक्ष्मीनारायण की महाआरती कर दीप प्रज्वलित किए। यह दिन देवताओं की दीपावली है। इस दिन दीप दान और व्रत पूजा आदि कर देवों की दीपावली में शामिल होते हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था। कहा जाता है कि इस खुशी में देवताओं ने दिवाली मनाई और काशी के घाट पर गंगा में दीपदान किया। तभी से कार्तिक की पूर्णिमा के दिन दीपदान किया जाता है। इस दिन लोग सुबह सवेरे स्नान कर भगवान लक्ष्मी नारायण और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
क्यों मनाई जाती है देव दिवाली
देव दिवाली पर मां गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा के तटों का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है, क्योंकि देव दिवाली के इस पर्व पर गंगा नदी के घाटों को दीए जलाकर रोशन किया जाता है। दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन देव दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। हर त्योहार की तरह यह त्योहार भी कई राज्यों में मनाया जाता है। लेकिन, इसका सबसे ज्यादा उत्साह बनारस में देखने को मिलता है। इस दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी खुशी में देवताओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीपक जलाकर जश्न मनाया था। इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रुप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है, जिस वजह से कार्तिक पूर्णिमा के पूरे महीने को काफी पवित्र माना जाता है। देव दिवाली के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है। इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है। देव दिवाली के दिन दीये दान करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूरब की तरफ मुंह करके दीये दान करते हैं, उन पर ईश्वर की कृपा होती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन दीये दान करने वालों को ईश्वर लंबी आयु का वरदान देते हैं। साथ ही घर में सुख शांति का माहौल बना रहता है।
देव दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त
देव दीपावली की तिथि : 12 नवंबर 2019
पूर्णिमा तिथि आरंभ : 11 नवंबर 2019 को शाम 06 बजकर 02 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 12 नवंबर 2019 को शाम 07 बजकर 04 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं, चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं व बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। ऊं देवदेवाय नम:।