Welcome to Shree Shanidham Trust

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना . मां महागौरी की पूजा, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

Submitted by Shanidham

नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना की जाती है। इस दिन साधक विशेष तौर पर साधना में मूलाधर से लेकर सहस्रार चक्र तक विधि पूर्वक सफ ल हो गए होते हैं। उनकी कुंडलिनी जागृत हो चुकी होती हैं तथा अष्टम दिवस महागौरी की उपासना व आराधना उनकी साधना शक्ति को अधिक बल प्रदान करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महागौरी की उपासना करने से व्यक्ति के धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है। इस बार महाअष्ठमी 6 अक्टूबर को है। महाअष्ठमी के दिन दुर्गासप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ऐसा है मां का स्वरुप
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महागौरी को शिवा नाम से भी पहचाना जाता है। महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। मां के सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। माना जाता है कि महागौरी की उपासना करने से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। अपने पूर्व जन्म में मां ने पार्वती रूप में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी तथा शिवजी को पति स्वरूप प्राप्त किया था। मां कुंवारी कन्याओं से शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मन चाहा जीवन साथी प्राप्त होने का वरदान देती हैं।
साधना विधान
सर्वप्रथम लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें। तदुपरांत चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें तथा यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। ध्यान के बाद मां के श्रीचरणों में पुष्प अर्पित करें तथा यंत्र सहित मां भगवती का पंचोपचार विधि से अथवा षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा दूध से बने नैवेद्य का भोग लगाएं। तत्पश्चात् ú ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र की तथा साथ में ú महा गौरी देव्यै नमरू मंत्र की इक्कीस माला जाप करें तथा मनोकामना पूर्ति के  लिए मां से प्रार्थना करें। अंत में मां की आरती और कीर्तन करें।
शीघ्र विवाह के लिए उपाय
यदि आपका विवाह न हो रहा हो या आपके परिवार में किसी का विवाह विलम्ब से हो रहा हो या आपके वैवाहिक जीवन में तनाव है तो यह उपाय बहुत लाभदायी होगा। यह उपाय किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को या नवरात्र की अष्टमी को रात्रि 10 से 12 बजे के बीच शुरु करना चाहिए और नियमित 43 दिन तक करें। अपने सोने वाले कमरे में एक चौकी बिछा तांबे का पात्र रख उसमें जल भर दें। पात्र के अंदर आठ लौंग, आठ हल्दी, आठ साबुत सुपारी, आठ छुआरे डाल दें। आम के पांच पत्ते दबा कर जटा वाला नारियल पात्र के ऊपर रख दें। वहीं आसन बिछा कर घी का दीपक जलाएं। श्रद्धापूर्वक धूप-दीप, अक्षत पुष्प और नैवेद्य अर्पित करने के उपरांत पांच माला माँ गौरी के मंत्र ú ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ú महागौरी देव्यै नमरू की और एक माला शनि पत्नी नाम स्तुति की करें और रात्रि भूमि शयन करें। प्रात:काल मौन रहते हुए यह सारी सामग्री किसी जलाशय या बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। वैवाहिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
मां महागौरी का भोग
इस दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य रूप में नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार के संताप नहीं आ सकते।
ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से ग्रह अनुकूल फल प्रदान नहीं कर रहे हैं और लोगों ने भयभीत किया है कि आपके जीवन में परेशानी प्रतिकूल ग्रहों की वजह से आ रही है तो मां महागौरी माता का मंत्र ú ह्रीं क्लीं हूं महागौर्ये फट् स्वाहा का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।
महाअष्टमी का शुभ मुहूर्त
5 अक्टूबर सुबह 9.53 बजे से अष्टमी आरम्भ
6 अक्टूबर सुबह 10.56 बजे अष्टमी समाप्त
संध्या पूजा मुहूर्त : सुबह 10.30 बजे से 11.18 बजे तक
मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले पीले वस्त्र पहनकर मां की पूजा आरंभ करें। मां के समक्ष दीपक जलाएं और मन में उनका ध्यान करें। पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें। मां की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥  अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होते हैं।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन विधि
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए। अन्यथा 2 ही कन्याओं का पूजन करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करते समय कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। कन्या पूजन के बाद उन्हें भोजन करवाकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।
प्रसाद में इन चीजों का भोग
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता जाता है। इस दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है।