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नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि : इनकी उपासना से प्राणी रहता है भय मुक्त

Submitted by Shanidham

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा। मां कालरात्रि का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला है काल और रात्रि का अर्थ है अंधेरा। जिसका अर्थ है अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि।
कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनकी उपासना से प्राणी सर्वथा भय मुक्त हो जाता है। कालरात्रि अपने भक्तों पर पुत्रों के समान कृपा बरसाती हैं। मां भक्तों की ग्रहों संबधित समस्याओं का निवारण करने के साथ ही शुभ फल प्रदान करने वाली हैं। मां कालरात्रि का पूजन करने के साथ ही इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ऐसा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या आपको लोगों ने शनि के नाम से भयभीत किया है? क्या आपको लोगों ने शनि की साढ़े साती से डराया है? क्या ढैय्या और महादशा के नाम से किया है आपको परेशान? तो इन सब का निवारण होगा मां कालरात्रि माता की पूजा से। मां कालरात्रि का भोग दिलाएगा सौभाग्य में वृद्घि निजकृत कर्मों की वजह से शनि प्रतिकूलता निवारण के लिए।
मां कालरात्रि का विधान
नवरात्र के सातवें दिन आदि शक्ति मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना का विधान है। व्यापार संबंधी समस्या, ऋण मुक्ति एवं अचल संपत्ति के लिए मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है। देखने में मां का स्वरूप विकराल है। परंतु मां सदैव ही शुभ फल प्रदान करती हैं। इस दिन साधक अपने मन को सहस्रार चक्र में स्थित करते हैं और मां की अनुकंपा से उन्हें ब्रह्मांड की समस्त सिद्घियां प्राप्त होती है। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना एवं साधना द्वारा अकाल मृत्यु, मानसिक पीड़ा, व्यापार, नौकरी, अग्रिभय, शत्रुभय आदि से छुटकारा प्राप्त होता है। नवरात्र का सातवां दिन भगवती कालरात्रि की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत.अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन सहस्रार चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके कालरात्रि स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।
सुलभ अनुष्ठान व उपासना विधि
सर्वप्रथम लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां कालरात्रि की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें तथा चौकी पर कालरात्रि यंत्र को रखें। तदुपरांत हाथ में पुष्प लेकर मां कालरात्रि का ध्यान आह्वान करें। यदि मां की छवि ध्यान अवस्था में विकराल नजर आएं तो घबराएं नहीं, बल्कि मां के चरणों में ध्यान एकाग्र करें। मां का स्वरूप देखने में भले ही विकराल है परंतु हर प्रकार से मंगलकारक है। ध्यान के  बाद हाथ के पुष्प मां को अर्पण कर दें तथा मां कालरात्रि एवं यंत्र का पंचोपचार से पूजन करें तथा नैवेद्य का भोग लगाएं। इसके  बाद मां का मंत्र जाप नौ माला की संख्या में पूर्ण करें। मनोकामना पूर्ति के लिए मां से प्रार्थना करें। तदुपरांत मां की आरती और कीर्तन करें।
सौभाग्यर्वधक उपाय
यह प्रयोग शारदीय नवरात्र की सप्तमी प्रात: 4 से 6, दोपहर 11.30 से 12.30 के बीच और रात्रि 10 बजे से 12 के बीच शुरु करना लाभकारी होगा। चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर माँ कालरात्रि की तस्वीर और दक्षिणी काली यंत्र व शनि यंत्र स्थापित करें। उसके बाद अलग-अलग आठ मुठ्ठी उड़द की चार ढेरीयां बना दें। प्रत्येक उड़द की ढेरी पर तेल से भरा दीपक रखें। प्रत्येक दीपक में चार बत्ती रहनी चाहिए। दीपक प्रज्वलित करने के बाद धूप-नैवेद्य पुष्प अक्षत अर्पित करें। शुद्ध कम्बल का आसन बिछा कर एक पाठ शनि चालीसा, एक पाठ माँ दुर्गा चालीसा, एक माला ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। कालरात्रि देव्यै नम: और एक माला शं शनैश्चराय नम: की जाप करें। संपूर्ण मनोकामनाएं पूरी होगी।
नवरात्र की सप्तमी या किसी भी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रात्रि 8 बजे से लेकर 12 बजे तक यह पूजा करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर माँ कालरात्रि की तस्वीर रखें साथ में सम्पूर्ण श्री यंत्र और शनि यंत्र भी स्थापित करें। तत्पश्चात धान की ढेरी बनाएं और ढेरी पर कमलगट्टे पर कुमकुम, केसर व हल्दी घोल कर अनार की कलम से श्री लिखें। श्री लिखा हुआ कमलगट्टा रख दें। साथ में ढेरी पर पूजा कपूर की डली, एक लौंग, एक इलायची और एक साबुत सुपारी भी रखें। धूप-दीप नैवेद्य पुष्प अक्षत अर्पित करें और कम्बल का शुद्ध आसन बिछा कर ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।  कालरात्रि देव्यै नम: की पांच माला और पांच माला?  शं शनैश्चराय नम: और एक माला श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीदं। श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात श्री लिखा हुआ कमलगट्टा मां से मांग लें। उस कमलगट्टे के साथ लौंग, इलायची, साबुत सुपारी, कपूर लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें और बाकी सारी सामग्री को बहते पानी में बहा दें। सारी आर्थिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा। जीवन की संपूर्ण मनोकामना पूरी होगी।
माँ कालरात्रि का भोग
इस दिन मां दुर्गा को खिचड़ी, पापड़, सब्जियां, बैंगन भाजा और रसगुल्ला का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि कमजोर हो या शनि की वजह से आपके जीवन में कोई परेशानी आ रही हो तो मां कालरात्रि माता का मंत्र क्लीं कालरात्रि ऐं ह्रीं श्री मम् सौभाग्यमारोग्यं देहि देहि स्वाहा का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।