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शांति और शुभता का आशीर्वाद प्रदान करती हैं स्कंदमाता

Submitted by Shanidham

ॐ  स्कंदमाता देव्यै नम:
नवरात्र में पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। मां को स्नेह और ममता की देवी माना जाता है। स्कंद कुमार की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। मां के विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। भगवान स्कंद, कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं। ये देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। मां कमल के आसन पर विराजमान हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम और मेघदूत रचनाएं मां की कृपा से ही संभव हुईं। मां सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां की उपासना से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाते हैं। मन को एकाग्र रखकर मां की उपासना करें। मां की उपासना से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। मां चेतना का निर्माण करती हैं। मां की कृपा से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। समस्त व्याधियों का अंत होता है। दिन के दूसरे पहर में माता की उपासना करनी चाहिए। मां को चंपा के पुष्प अर्पित करें। शृंगार में हरे रंग की चूड़ियां अर्पित करें। मां की कृपा से पारिवारिक शांति की प्राप्ति होती है। मां की आराधना से शुभता की प्राप्ति होती है। संपूर्ण बाधाओं से मिलेगी मुक्ति व्यासायिक बाधा निवारण के लिए उपाय मां स्कन्द माता का भोग दिलाएगा आपको संपूर्ण सफलता निजकर्त कर्मोँ की वजह से बृहस्पति ग्रह प्रतिकूलता निवारण के लिए उपाय परिचय व महिमा से अवगत कराएं। 
नवरात्र के  पुण्य पर्व पर पांचवें दिन मां 
स्कंदमाता की पूजा, अर्चना एवं साधना का विधान वर्णित है। मां के  पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के   नाम से जाना जाता है। पांचवें दिन की पूजा साधना में साधक  अपने मन-मस्तिष्क  को विशुद्घ चक्र   में स्थित क रते हैं। स्कंदमाता स्वरूपिणी भगवती की चार भुजाएं हैं। सिंहारूढ़ा मां पूर्णत: शुभ हैं। साधक  मां की आराधना में निरत रहकर निर्मल चैतन्य रूप की ओर अग्रसर होता है। उसका मन भौतिक  काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद (अहंकार) से मुक्ति  प्राप्त करता है तथा पद्मासना मां के  श्री चरण कमलों में समाहित हो जाता है। मां की उपासना से मन की सारी कुण्ठा जीवन-कलह और द्वेष भाव समाप्त हो जाता है। मृत्यु लोक  में ही स्वर्ग की भांति परम शांति एवं सुख का अनुभव प्राप्त होता है। साधना के  पूर्ण होने पर मोक्ष का मार्ग स्वत: ही खुल जाता है। 
मां की उपासना के  साथ ही भगवान स्कंद की उपासना स्वयं ही पूर्ण हो जाती है। क्योंकि  भगवान बालस्वरूप में सदा ही अपनी मां की गोद में विराजमान रहते हैं। भवसागर के  दु:खों से छुटकारा पाने के  लिए इससे दूसरा सुलभ साधन कोई नहीं है।
प्र०3 क्या भगवती की उपासना की कोई सरल शास्त्रोक्त विधि भी है जिसका लाभ सामान्य गृहस्थ भी उठा पाएं? कृपया, सबके लिए सुलभ अनुष्ठान व उपासना विधि बताने की कृपा करें। 
साधना विधान - सर्व प्रथम मां स्कंदमाता की मूर्ति अथवा तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर पीले वस्त्र को बिछाकर उस पर कुंकुंम से ॐ  लिखकर स्थापित करें। मनोकामना की पूर्णता के  लिए चौकी पर मनोकामना गुटिका रखें। हाथ में पीले पुष्प लेकर मां स्कंद माता के  दिव्य ज्योति स्वरूप का ध्यान करें। ध्यान के  बाद हाथ के  पुष्प चौकी पर छोड़ दें। तदुपरांत यंत्र तथा मनोकामना गुटिका सहित मां का पंचोपचार विधि द्वारा पूजन करें। केले का नैवेद्य का भोग लगाएं तथा पीले फल चढ़ाएं। इसके  बाद मां के  श्री चरणों में प्रार्थना कर आरती पुष्पांजलि समर्पित करें तथा भजन कीर्तन करें। 
व्यावसायिक बाधा निवारण उपाय
यदि आपको आपके व्यापारिक कार्यों में अनावश्यक बाधाएं आ रहीं हैं तो आज के दिन यह उपाय शुरु करें। घी का दीपक जला दें। एक माला ॐ  ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ  स्कन्द माता देव्यै नम:, एक पाठ श्री गणेश स्तोत्र प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से करें। पूजा करने के उपरांत हर रोज गाय को हरी घास खिलाएं। हरा चारा डालें। ऐसा 43 दिन, 86 दिन या 172 दिन करें। 
बाधा निवारण और बाधा विनाशक प्रयोग
यदि किसी के भी साथ अनावश्यक, बार-बार कोई भी कारण नहीं और परेशानी आ रही हो, मन बेचेन रहता हो, अनहोनी दुर्घटनाएं घट रही हों और एक्सीडेंट होता हो तो 800 ग्राम चावल दूध से धो कर पवित्र पात्र में अपने सामने रख लें। और एक माला ॐ  ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ  स्कन्द माता देव्यै नम: और एक माला मंगलकारी शनि मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात इस सामग्री को अपने ऊपर से 11 बार उसार करके किसी तालाब अथवा बहते पानी में प्रवाह करें। और दूध किसी कुत्ते को पीला दें। यह उपाय लगातार 43 दिन तक करें। इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। 
शरीरिक बाधा निवारण प्रयोग
यदि आपके परिवार में किसी का भी स्वास्थ्य बार-बार खराब होता हो और अधिक दिन तक खराब रहता हो तो आज का दिन इस बाधा को हटाने के लिए रामबाण है। 7 नारियल, प्रत्येक नारियल पर 7 बार कलावा लपेट लें। सात बादाम, सात साबुत सुपारी, आठ मुटठी काली उड़द नीले कपड़े में बांध कर अपने सामने थाली में रख दें। एक माला ॐ  ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ  स्कन्द माता देव्यै नम: की जाप करें। तत्पश्चात यह समस्त सामग्री अपने ऊपर से सात बार उसार कर किसी भी भगवती के मंदिर में चुपचाप रख कर आ जाएं। ऐसा 43 दिन तक नियमित करें। समय दोपहर का हो तो और अच्छा रहेगा। 
माँ स्कंदमाता का भोग बदलेगा आपका भाग्य
इस दिन पूजा करके भगवती को केले का भोग लगाये और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें, ऐसा करने से पुरुष की बुद्घि का विकास होता है। 
ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में निजकर्त कर्मों की वजह से बृहस्पति कमजोर हो या बृहस्पति की वजह से आपके जीवन में कोई परेशानी आ रही हो तो माँ भगवती स्कन्द माता का ॐ  ऐं क्लीं ह्रीं स्कन्धमाते हुं हुं फट् स्वाहा। मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।