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श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या का महत्व

Submitted by Shanidham

श्रावण अमावस्या तिथि 2019
अमावस्या तिथि – 1 अगस्त 2019,
गुरुवार अमावस्या तिथि आरंभ – 11:57 बजे (31 जुलाई 2019)
अमावस्या तिथि समाप्त – 08:41 बजे (01 अगस्त 2019)
धार्मिक मान्यताओं व हिन्दू पञ्चांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि के नाम से पुकारा जाता है। इस तिथि को एक खास तिथि  के रूप में माना जाता है। अमा‍वस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस दिन गंगा स्नान दान पुण्य के लिये यह बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि है। खासकर पितरों की आत्मा की शांति के लिये हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि होती है। धर्मग्रंथों में चन्द्रमा की 16वीं कला को ‘अमा’ कहा गया है। अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे ‘कुहू अमावस्या’ भी कहा जाता है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।
 
श्रावण अमावस्या व इसके महत्व
धार्मिक और प्राकृतिक महत्व की वजह से श्रावण अमावस्या बहुत लोकप्रिय है। दरअसल इस दिन वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं। सावन महीने की अमावस्या को सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या कहते हैं। श्रावण मास को वर्षा ऋतु का माह भी कहा जाता है। इस माह में मौसम का नज़ारा इतना सुनहरा होता है कि मेघों की घटा में प्रकृति की छटा भी बिखरी हुई नज़र आती है। चारों ओर हरी – भरी हरियाली छटकने लगती है। पेड़ पौधे पर नई कोंपलों की बरसात होने लगती है और सूखते हुए वृक्ष बारिश की बूंदों में धुलकर  पुनः नया जीवन जैसा ,प्राप्त कर लेते हैं  इस सावन महीनों में पक्षी चहकने की बहार सुनने को मिलने लग जाती है कोयल की मधुर आवाज इस महीने बहुत सुनहरी लगती है मन भी बहकने लगते हैं।मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि सावन मास की अमावस्या बहुत खास होती है। श्रावणी अमावस्या से पहले दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस अमावस्या के तीन दिन बाद ही त्यौहारों का बीजारोपण करने वाला पर्व हरियाली तीज आता है इसलिये इसे अमावस्या हरियाली कहा जाता है।
श्रावण अमावस्या को क्या करना चाहिए
सावन मास में बारिश के आगमन से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल उठता है। चूंकि श्रावण अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है और इनकी वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहता है, इसलिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
  •  सावन अमावस्या के दिन मछलियों को नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं।
  •  सावन हरियाली अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
  •  सावन हरियाली अमावस्या के दिन  शाम को मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं। इस दिन ऐसा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है।
  • अमावस्या की रात को घर में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें।
  •   इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
  •  पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
  •  इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है और इसके फेरे लिये जाते हैं। 
  •  हरियाली अमावस्या पर पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है। क्योंकि इन वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है।
  •   वृक्षारोपण के लिये उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त आदि नक्षत्र श्रेष्ठ व शुभ फलदायी माने जाते हैं।
  •   किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।
  •  सावन हरियाली अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।