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श्रावण में भगवान शिव की पूजा करने की शास्त्रीय विधि

Submitted by Shanidham

ऐसी मान्यता है कि प्रबोधनी एकादशी से सृष्टि के पालन कर्ता भगवान विष्णु सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर अपने दिव्य भवन पाताललोक में विश्राम करने के निकल लेते है और अपना सारा कार्यभार अपने समकक्ष मस्त-मौला अवघड़ बाबा महादेव को सौंप देते है। भगवान भूतनाथ गौरा पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दुःख दर्द को समझते है एंव उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते है। शिव को सावन ही क्यों प्रिय है ? महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है। क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते है, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती एंव हमारी कृषि के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांये चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखें गयें है। सावन में बम बम बोलिए और घर के कलह दूर कीजिये जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है, उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोले नाथ के मस्तक पर विराज मान है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। सूर्य गर्म है एंव चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिस होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठण्डक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।
1 सावन में शिव की पूजा कैसे करे
भारतीय परिदृश्य में सावन का महीना सबसे अच्छे मौसम वाला महीना माना जाता है। जुलाई से अगस्त तक के इस मौसम में ना बहुत अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत ज्यादा सर्दी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवें महीने को सावन का महीना कहते हैं।
2 सावन का महीना
हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना जुलाई के उत्तरार्ध में पूर्णिमा के पहले दिन से और अगस्त के तीसरे सप्ताह में समाप्त होता है जो पूर्णिमा के अगले दिन होता है।
3 सावन में व्रत का बहुत महत्व
श्रावण या सावन संस्कृत से प्राप्त हुआ शब्द है। भारत के पूरे उप महाद्वीप के लिए श्रावण या सावन का महीना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दक्षिण-पश्चिमी मानसून के आगमन से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म के कई अनुयायियों के लिए श्रावण का महीना उपवास का महीना है, सावन माह में आने वाले सावन के सोमवार व्रत का भी बहुत महत्वा होता है।
4 सावन का सोमवार
पौराणिक हिन्दू मान्यता के अनुसार सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है और ये भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार भगवान शिव और मंगलवार को देवी पार्वती के व्रत का दिन माना जाता है। श्रावण माह में आने वाले सोमवार को ही सावन सोमवार कहते हैं।
5 भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना
सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। हिंदू देवताओं में त्रिमूर्ति में से एक भगवान शिव देवों के देव, दूसरे ब्रह्मा और तीसरे विष्णु हैं।
6 शिव की भक्ति
भगवान शिव, अपने भक्तों के जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने में उनकी मदद करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव का आशीर्वाद चाहने वाले भक्तों को भक्ति और ईमानदारी के साथ शिव का पाठ करना चाहिए।
7 सावन व्रत की पौराणिक कथा
कथाओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को अत्याधिक प्रिय होता है और इस दौरान सारा वातावरण शिवमय होता है। कथा के अनुसार, एक बार देवी सती अपने पिता के बुलावे पर उनके घर गईं। वहां पहुंचकर देवी सती ने देखा कि उनके पिता उनके पति शिव जी का निरादर कर रहे हैं। उन्होंने देवी सती को भी उनके पति शिव के बारे में अपशब्द कहे।
8 सावन व्रत की पौराणिक कथा
देवी सती ये सब सहन नहीं कर पाईं और अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से उन्होंने शरीर त्याग दिया। देवी सती को महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का फल प्राप्त था। उन्होंने पार्वती के रूप में दूसरा जन्म राजा हिमालय और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में लिया।
9 सावन व्रत की पौराणिक कथा
पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसी कारणवश सावन महिना शिव जी को प्रिय हो गया। सावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की आराधना का महीना माना जाता है।
10 सावन व्रत की पौराणिक कथा
यदि एक व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है तो यह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है। आगे जानिए सावन व्रत पूजा विधि...
11 सावन व्रत पूजा विधि
शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन माह में उनका विशेष पूजन करना चाहिए। इस पूजा-अर्चना के दौरान आपको उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त हो सकता है। सावन के सोमवार करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए।
12 सावन व्रत पूजा विधि
इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव के ध्यान से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक समय ही भोजन किया जाता है। सावन के महीने में भक्त, गंगा नदी से पवित्र जल या अन्य नदियों के जल को मीलों की दूरी तय करके लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
13 पूजा की सामग्री
1. शिवामुट्ठी के लिए कच्चे चावल, सफ़ेद तिल , खड़ा मूंग,जौ, सतुआ 2. पंचामृत : दूध, दही, चीनी , चावल, गंगाजल ( इन सबका मिश्रण करके पंचामृत बनता है ) 3. तीन दलों (पत्तियों) से युक्त एक बिल्वपत्र 4. फल 5. फूल 6. धुप बत्ती या अगरबत्ती 7. चन्दन 8. शहद 9. घी 10. इत्र 11. केसर 12. धतूरा 13. कलावे की माला 14. रुद्राक्ष 15. भस्म 16. त्रिपुण्ड्र 17. मंत्र :- ॐ या ॐ नमः शिवाय
14 पूजा विधि
शिव पूजा विधि का पूरा-पूरा वर्णन भगवान शिव से सम्बंधित ग्रन्थ शिव पुराण में मिलता है. शिव पुराण में शिवलिंग और शिवजी के सगुण स्वरुप की पूजा की विधियाँ विस्तार से बताई गई हैं। सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा की जाती है, लिंग सृष्टि का आधार है और शिव विश्व कल्याण के देवता है।
15 शिव पूजा विधि
सुबह स्नान आदि करके तन -मन से पवित्र होकर मंदिर जाए या घर के मंदिर में ही शिव की पूजा करे। मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को पंचामृत जल अर्पित करें। पंचामृत जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर एक-एक करके सभी सामग्री चढ़ाएं और शिव मंत्र :ॐ नमः शिवाय " का जाप करते रहें।
16 शिवलिंग पूजा नियम
1. सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर मंदिर में रखे शिवलिंग पर जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें. 2. जिस जगह पर शिवलिंग स्वथापित हो, उससे पूर्व दिशा, उत्तर दिशा और पश्चिम दिशा में बैठना उचित नहीं रहता है। शिवलिंग से दक्षिण दिशा में ही बैठकर पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
17 शिवलिंग पूजा नियम
3. भक्त को रूद्राक्ष की माला पहननी चाहिए और बिना कटे-फटे हुये बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। 4. शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। आधी परिक्रमा करना ही शुभ होता है। 5. इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें.
18 शिवलिंग पूजा नियम
6. सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ऊं नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. इस एक उपाय से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. 7. सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें. इस दौरान इस मंत्र का 108 बार जाप करें - ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं
19 पूजा नियम
8. तीन दलों (पत्तियों) से युक्त एक बिल्वपत्र जो हम शिव को अर्पण करते हैं, वह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है अत: श्रावण मास में भगवान भोले को बिल्वपत्र अर्पण करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
20 सावन सोमवार
9. श्रावण माह के अंतर्गत प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामुट्ठी चढ़ाई जाती है। जिसमें :- • प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी • दूसरे सोमवार को सफेद तिल्ली चढ़ाया जाता है • तीसरे सोमवार को खड़े मूंग की एक मुट्ठी चढ़ाना चाहिए • चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी चढ़ाने का महत्व है • अगर पांचवां सोमवार भी आ जाता है तो सतुआ चढ़ाने का महत्व है