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ये हैं शनि अमावस्या से जुड़ी कुछ खास बातें

Submitted by Shanidham

अमावस्या पर करें पितर देवताओं के लिए तर्पण और किसी पवित्र नदी में करें स्नान जब किसी एक राशि में सूर्य और चंद्र साथ होते हैं, तब अमावस्या तिथि रहती है
शनिवार, 4 मई को वैशाख मास की अमावस्या है। इसे सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है। शनिवार को ये तिथि होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक माह 15-15 दिनों के दो पक्षों में बंटा होता है। एक होता है शुक्ल पक्ष और दूसरा होता है कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है।
ज्योतिष अनुसार चंद्र की सोलह कलाएं बताई गई हैं और सोलहवीं कला को अमा कहा जाता है। इस संबंध में स्कंदपुराण में लिखा है कि-
अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला।
संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।

इस श्लोक के अनुसार अमा को चंद्र की महाकला गया है, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां शामिल होती हैं। इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है। 
ये हैं अमावस्या से जुड़ी कुछ खास बातें
जब किसी एक राशि में सूर्य और चंद्र साथ होते हैं, तब अमावस्या तिथि रहती है। 4 मई को सूर्य और चंद्र मेष राशि में रहेंगे।
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का महत्व है।
अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन मंत्र जाप, तप और व्रत करने की परंपरा है।