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शनिदेव की ढैय्या, साढ़ेसाती, दशा, महादशा में आपको हो रही है कुछ परेशानी तो करें ये रामबाण उपाय

Submitted by Shanidham

शनिदेव की ढैय्या, साढ़ेसाती, दशा, महादशा में आपको हो रही है कुछ परेशानी तो करें ये रामबाण उपाय  
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, 
जो जस करहि सो तस फल चाखा।


सनातन धर्म ग्रंथों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जीवों के निजगत संचित कर्मों का जो भाग वर्तमान जीवन काल में भोगना होता है, उसे ही प्रारब्ध कहते हैं। प्रारब्ध के किस कर्म के फल का भोग जीव को कब भुगतना होगा, इसका निर्णय ग्रहों के अधीन होता है और उसमें शनिदेव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। वह ग्रहों की अदालत में सर्वोच्च न्यायधीश की भूमिका निभाते हैं। 
निजगत कर्मों की बेडिय़ों से जकड़ा जीव चैरासी लाख योनियों में भटकता-भटकता जब प्रभु कृपा से मानव शरीर पाने का सौभाग्य पाता है तो उसे क्रियमाण कर्म करने का ऐसा हथियार प्राप्त हो जाता है जिसका इस्तेमाल कर वह अपने जन्म जन्मांतर के कर्मजनित दोषों का परिहार कर सकता है। 

अत: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण करने पर पता चलता है कि शनिदेव प्रतिकूल फलों की प्राप्ति का संकेत दे रहे हैं, तो उनके अनुकूलन के लिए शास्त्रों में स्तोत्र पाठ, जप, दान, स्नान व व्रत आदि अनुष्ठानों का भी उल्लेख है। कुछ शास्त्रोक्त उपाय व टोटके भी बड़े प्रभावी होते हंै। किंतु शनि तैलाभिषेक व शनि व्रत अनुष्ठान बड़े ही सरल उपाय हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति शनिदेव की कृपा पाने के लिए ढैय्या, साढ़ेसाती, दशा, महादशा में बड़ी आसानी से कर सकता है। इसके अलावा यदि शनिदेव की ढैय्या, साढ़ेसाती, दशा, महादशा में आपको कुछ परेशानी हो रही है तो आप इन रामबाण उपायों का सहारा ले सकते हैं।


1.  प्रत्येक शनिवार को काले तिल, आटा व शक्कर लेकर इन तीनों चीज़ों को मिला लें उसके बाद ये मिश्रण चींटियों के बिलों पर डाल दें।

2. शनिदेव से सम्बंधित बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए घोड़े की नाल या नाव की कील से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यास्त के समय धारण करें।

3.  शनिवार के दिन एक समय बिना नमक का भोजन करें और एक समय के भोजन का त्याग करें। भोजन करने के पूर्व अपनी एक समय की खुराक किसी गरीब व्यक्ति को खिला दें।

4. दान पुण्य करने वाले लोगों से शनिदेव देव प्रसन्न रहते हैं, इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, उड़द की दाल का दान जरूरतमंद व्यक्ति को करें।

5. हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, इसलिए प्रत्येक मंगलवार को बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं और प्रत्येक मंगलवार व शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।

6. शनिदेव देव की पूजा कर कि उन्हें नीले रंग की पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही शनिदेव के प्रिय मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: का रूद्राक्ष की माला से जाप करें। मंत्रों की जप संख्या कम से कम 108 अवश्य होनी चाहिए। प्रत्येक शनिवार ये उपाय करने से करने से शनिदेव की महादशा, ढैय्या व साढ़ेसातीजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।

7. शनिदेव की साढ़ेसाती या ढैया में निजगत कर्मों के आधार पर मिलने वाले कष्टों से मुक्ति पाने के लिए प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर एक कटोरी में तेल लें। इसमें अपना चेहरा देखें और उसके बाद इस तेल को किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान दे दें। ऐसा करने से शनिदेव देव प्रसन्न होते हैं।

8. सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और इसकी सात परिक्रमा करें। सूर्यास्त के बाद सुनसान स्थान पर लगे पीपल के पेड़ पर दीप जलाएं या किसी मंदिर में लगे पीपल के पास दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं।

9. शनिवार को तेल में बने हुए खाद्य पदार्थ किसी ज़रूरतमंद वृद्घ व्यक्ति को खिलाए ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं

10. प्रत्येक शनिवार का व्रत रखें। शनि मंदिर में जाकर शनिदेव के दर्शन, प्रार्थना व पूजन करने से व्रत का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है साथ में हनुमान जी की पूजा सोने में सुहागा का काम करती है।