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Navratri 2020 Day 8: अष्टमी के दिन करें महागौरी की उपासना, जानिए पूजा विधि, मंत्र और आरती

Submitted by Shanidham

नवरात्रि (Navratri) के आठवें दिन यानी कि महाअष्टामी (Mahaashtami) को कन्या पूजन (Kanya Pujan) से पहले महागौरी की पूजा का विधान है. नवरात्रि (Navratri) के आठवें दिन यानी कि महाअष्टमी (Mahaashtami) को कन्या  पूजन (Kanya Pujan) से पहले महागौरी की पूजा का विधान है. महागौरी की पूजा अत्यंत कल्याणकारी और मंगलकारी है. मान्यता है कि सच्चे  मन से अगर महागौरी को पूजा जाए तो सभी संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं. इस बार अष्टामी (Ashtami) 1अप्रैल 2020 को है.
कौन हैं महागौरी? 
महागौरी को लेकर दो पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्याता के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया. 
एक दूसरी कथा के मुताबिक एक सिंह काफी भूखा था. वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी ऊमा तपस्या कर रही होती हैं. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया. देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई. मां ने उसे अपना वाहन बना लिया क्यों कि एक तरह से उसने भी तपस्या की थी. 
महागौरी का स्वगरूप
धार्मिक मान्यवताओं के अनुसार महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है. इनकी आयु आठ साल मानी गई है. महागौरी के सभी आभूषण और वस्त्रओ सफेद रंग के हैं इसलिए उन्हें  श्वेिताम्बधरा भी कहा जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं. उनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है. मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां सिंह की सवारी भी करती हैं. 
महागौरी की पूजा विधि 
- सबसे पहले अष्टमी के दिन स्नाान कर स्वच्छ वस्त्र  पहनें. 
- अब लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थाछपित करें. 
- अब हाथ में फूल लेकर मां का ध्यान करें. 
- अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं. 
- इसके बाद मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें. 
- अब मां की आरती उतारें. 
- अष्टामी के दिन कन्या  पूजन श्रेष्ठि माना जाता है. 
- नौ कन्या‍ओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें. उन्हें खाना खिलाएं और जय माता दी के जयकारे लगाएं. 
- कन्या्ओं और बाल को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें. 
- अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें  विदा करें. 
माँ महागौरी देवी का मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
मां महागौरी का जाप मंत्र 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ महागौरी देवीय नम:
माँ महागौरी का ध्यान
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
माँ महागौरी का स्तोत्र पाठ
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
माँ महागौरी की आरती 
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥