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Maa Brahmacharini: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा विधि

Submitted by Shanidham

Navratri 2020-: हिन्दूण पंचांग के अनुसार चैत्र मास की द्वितीया तिथि के दिन श्री दुर्गा के द्वितीय रूप माता ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा की जाती है. Chaitra Navratri 2020 Day 2: चैत्र नवरात्रि (Navratri) के दूसरे दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी को तप की देवी कहा जाता है. मान्यtताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया. वह सालों तक भूखी-प्यासी रहकर शिव को प्राप्त करने की इच्छा पर अडिग रहीं. इसीलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है. ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी माता का यही रूप कठोर परिश्रम की सीख देता है, कि किसी भी चीज़ को पाने के लिए तप करना चाहिए. बिना कठिन तप के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता.
चैत्र मास में कब पूजी जाती हैं मां ब्रह्मचारिणी?
हिन्दूम पंचांग के अनुसार चैत्र मास की द्वितीया तिथि के दिन श्री दुर्गा के द्वितीय रूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस बार 26 मार्च को नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. 
मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं?
मान्यरताआों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर की पत्नी बनने के लिए तपस्या की. इन्हें ब्रह्मा जी ने मन चाहा वरदान भी दिया. इसी तपस्या की वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इसके अलावा मान्यता है कि माता के इस रूप की पूजा करने से मन स्थिर रहता है और इच्छाएं पूरी होती हैं. 
मां ब्रह्मचारिणी का स्वसरूप
मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता के एक हाथ में जप की माला और दूसरे में कमंडल रहता है. वह किसी वाहन पर सवार नहीं होती बल्कि पैदल धरती पर खड़ी रहती हैं. सिर पर मुकुट के अलावा इनका श्रृंगार कमल के फूलों से होता है. हाथों के कंगन, गले का हार, कानों के कुंडल और बाजूबंद सभी कुछ कमल के फूलों का होता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें. 
- अब ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर स्थापित करें.
- माता के चित्र या मूर्ति पर फूल चढ़ाकर दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें. 
- मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री पसंद है. इसलिए उन्हें  चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग चढ़ाएं. माता को दूध से बने व्यंंजन भी अतिप्रिय हैं.
- इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें.
मां ब्रह्मचारिणी का मनपसंद भोग
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उनको शक्कनर का भोग लगाया जाता है. मान्यभता है कि इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों की आयु में बढ़ोतरी होती है.
मां ब्रह्मचारिणी का मनपसंद रंग
हिन्दूर मान्यमताओं के अनुसार मां ब्रम्हचारिणी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है. अत: नवरात्रिय के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्रादि का प्रयोग कर मां की आराधना करना शुभ होता है.
मां ब्रह्मचारिणी का जाप मंत्र 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ ब्रह्मचारिणी देवीय नम:
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र 
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र पाठ
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
मां ब्रह्मचारिणी कवच
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता 
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता 
ब्रह्मा जी के मन भाती हो 
ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा 
जिसको जपे सकल संसारा 
जय गायत्री वेद की माता
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता 
कमी कोई रहने न पाए
कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने 
जो तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर 
आलस छोड़ करे गुणगाना 
मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी 
रखना लाज मेरी महतारी