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Chaitra Navratri 2020: ये हैं चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना के स्थिर लग्न एवं अमृत चौघड़िया मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त्त

Submitted by Shanidham

चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 25 मार्च 2020 दिन बुधवार को बासंतिक नवरात्र की शुरुआत हो रही है। वैसे तो इस वर्ष प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दिन मंगलवार को दिन में 1:43 बजे लग जा रही है परन्तु उदया तिथि के मान्यतानुसार सूर्योदय कालीन समय की तिथि को ही लिया जाता है। इस कारण से नवरात्र की शुरुआत 25 मार्च को ही मानी जाएगी। 25 मार्च को प्रतिपदा तिथि दिन में 3बजकर 50 मिनट तक व्याप्त रहेगी तत्पश्चात द्वितीया तिथि लग जाएगी। अतः प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना किया जाएगा।
घट स्थाापना का महत्वि
नवरात्रि में कलश या घट स्थामपना का विशेष महत्व  है. कलश स्थाचपना को घट स्थाेपना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थायपना के साथ ही होती है. घट स्थावपना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्य ता है कि गलत समय में घट स्था पना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्याश के दिन घट स्थाापित करने की मनाही है. घट स्थाोपना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थाकपित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्था पित कर सकते हैं.  प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. 
कलश स्थाअपना की सामग्री 
कलश स्थापना सूर्योदय से दिन में 3 बजकर 50 मिनट तक की जा सकती है। इस दिन रेवती नक्षत्र सूर्योदय से रात तक व्याप्त रहेगी। ब्रह्म योग सूर्योदय से दिन में 2:40 बजे तक। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा एवं सूर्य मीन राशि में होंगे, वहीं शुक्र स्वगृहाभिलाषी होकर मेष राशि में,  बुध कुम्भ राशि में और एक राहु मिथुन राशि में । गुरु एवं केतु धनु राशि में रहेंगे, वहीं गुरु स्वगृही होंगे। मंगल एवं शनि मकर राशि में होंगे । जहां मंगल उच्च के एवं शनि स्वगृही है। मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थाापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के , अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
कलश स्था,पना कैसे करें?
- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नाभन कर लें.
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योेत जलाएं. 
- कलश स्था पना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. 
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वा स्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से  में मौली बांधें. 
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. 
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. 
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं.
- कलश स्थाशपना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्पब लिया जाता है. 
- आप चाहें तो कलश स्थाापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योलति भी जला सकते हैं.
ज्योतिष के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त :- कलश स्थापना वैसे तो सूर्योदय से दिन में 3:50 बजे तक प्रतिपदा तिथि में की जा सकती है। परन्तु सूर्योदय से 9 बजे तक लाभ एवं अमृत चौघड़िया है। एवं स्थिर लग्न सुबह 08:40 से 10:30 तक । इस प्रकार स्थिर लग्न एवं अमृत चौघड़िया सुबह 08:40 से 9 बजे तक अत्यंत शुभ मुहूर्त्त है।
अभिजीत मुहूर्त्त दिन में 11:35 से 12:23 बजे तक। परंतु राहु काल 12 बजे से 1:30 बजे तक है। अतः दूसरा अत्यंत शुभ मुहूर्त्त दिन में 11:35 से 12 बजे तक होगा। इस प्रकार प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त्त :- सुबह 08:40 से 9 बजे तक। एवं दिन में 11:35 से 12 बजे तक ।
महानिशा पूजा 1 अप्रैल 2020 दिन बुधवार को । नवरात्र से सम्बंधित सभी यज्ञ, हवन कन्या पूजा आदि रामनवमी 2 अप्रैल दिन गुरुवार को किया जाएगा। नवरात्र का पारण 3 अप्रैल दिन शुक्रवार को किया जाएगा। चढ़ती -उतरती का व्रत रखने वाले लोग 25 मार्च को चढ़ती एवं 1 अप्रैल को उतरती का व्रत करेंगे।