Welcome to Shree Shanidham Trust

साल का आखिरी सूर्यग्रहण 26 को ग्रहण का सूतक, समय और किन्न-किन्न राशियों पर प्रभाव

Submitted by Shanidham

26 दिसंबर को आग की अगूंठी मानिंद दिखेगा सूर्य
-साल का आखिरी सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर को लगेगा

साल का आखिरी ग्रहण लगने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। 26 दिसंबर को लगने जा रहे ग्रहण में सूर्य के बीच के भाग को चंद्रमा पूरी तरह से ढंक देगा। इस कारण सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देगा। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण भाग कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों में दिखाई देगा, जबकि देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का नजारा दिखेगा। विष्णु पुराण के अनुसार जिस समय समुद्र मंथन हुआ था। उस समय देवता और असुरों के बीच अमृत को पाने के लिए झगड़ा हुआ था। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। उस दिन मोहिनी एकादशी थी। इसके बाद भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग पंक्तियों में बैठा दिया। लेकिन उनमें से एक असुर देवता का रूप धारण करके देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और अमृत पान कर लिया। देवों की पंक्ति में बैठे सूर्य और चंद्र ने उस असुर को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसके बारे में बता दिया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस असुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन, अमृत पान करने के कारण उसकी मृत्यु होना असंभव था। इस कारण उस असुर का सिर और धड़ तो अलग हो गया। लेकिन वह मरा नहीं। शास्त्रों के अनुसार सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा जाता है। इसी वजह से सूर्य और चंद्र को राहु केतु अपना दुश्मन मानते हैं और इसी कारण वह सूर्य को अपना ग्रास बना लेते हैं। इसलिए हर साल सूर्य ग्रहण अवश्य होता है। सूर्य ग्रहण के अवसर पर पुण्य कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान किए गए जप-तप का भी अनंत गुना फल मिलता है। शास्त्रों में सूर्यग्रहण के तीन प्रकार बताए गए हैं। सूर्य ग्रहण चंद्रमा के सूर्य द्वारा ढंक लिए जाने के कारण होता है। इसलिए चंद्रमा के सूर्य के ढंकने की स्थिति के अनुसार सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार हैं।
पूर्ण सूर्य ग्रहण : जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो इस समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में पृथ्वी को चन्द्रमा पूरी तरह से अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता है और धरती पर दिन में रात जैसा अहसास होता है। ग्रहण के प्रभाव वाले क्षेत्र में अंधेरा छा जाता है और कुछ समय तक सूर्य धरती से दिखाई नहीं देता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण : जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस तरह से आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं दे तो इस तरह के सूर्य ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस तरह के सूर्य ग्रहण में चन्द्रमा, सूर्य के कुछ ही भाग को अपनी छाया में लेता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में आता है, जबकि कुछ भाग में ग्रहण का असर नहीं होता है। इसमें धरती से सूर्य का आधा भाग ग्रहण के प्रभाव में दिखाई देता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण : जब चन्द्रमा पृथ्वी से काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो ऐसे सूर्य ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा की छाया सूर्य पर इस तरह से गिरती है कि सूर्य का सिर्फ बीच वाला हिस्सा इसकी छाया के प्रभाव में आता है, जिसकी वजह से सूर्य के चारों तरफ का भाग काफी चमकता रहता है और बीच वाला भाग अंधेरे में डूबा हुआ रहता है। सू्र्य का बाहरी क्षेत्र वलय के रूप में चमकता रहता है।
कहां दिखेगा आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण नई दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, भोपाल, विशाखापट्टनम, पटना, लुधियाना, आगरा, रियाद, कराची, कुआलालम्पुर में लगेगा।
कहां रहेगा वलयाकार सूर्य ग्रहण
मंगलौर, कोयम्बटूर, ऊटी, शिवगंगा, तिरुवनन्तपुरम, टेलिचेरी, अल होफुफ, सिंगापुर में दिखेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। लेकिन चंद्रमा इस दौरान पृथ्वी को पूरी तरह से अपनी छाया में नहीं ले पाता और सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रह जाता है। इसी घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा गया है। इस ग्रहण के समय सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है।
सूर्य ग्रहण की तिथि और समय
भारत में ग्रहण काल का प्रारंभ 26 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर हो जाएगा। हर शहर के समय में इसका थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है। ग्रहण का परमग्रास 9 बजकर 31 एएम पर होगा, जबकि ग्रहण का समाप्ति काल 10 बजकर 57 एएम पर होगा। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 40 मिनट की होगी।
ग्रहण सूतक काल
सूतक काल का प्रारंभ 25 दिसंबर की शाम को 5 बजकर 31 मिनट पर हो जाएगा। इसकी समाप्ति 26 दिसंबर सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर ग्रहण की समाप्ति के साथ होगी। भारत में सूतक काल का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल लगते ही किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते और ना ही किसी नए काम की शुरुआत। यहां तक की मंदिरों के कपाट भी सूतक में बंद कर किए जाते हैं। पूजा पाठ के कार्य भी इस दौरान निषेध माने गए है। लेकिन, सूतक में मन ही मन आप अपने ईष्ट देव की आराधना कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सूतक काल में विशेष ध्यान रखना होता है।
राशियों पर प्रभाव
ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व होता है जो कि सभी राशियों पर अलग-अलग प्रकार का प्रभाव डालता है। जानते हैं आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण।
मेष : सूर्य ग्रहण आपकी राशि से 9वें भाव में पड़ेगा। आपकी राशि पर यह ग्रहण प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इस वक्त आपका भाग्य भी आपका साथ नहीं देगा। घर-परिवार में किसी से अनबन हो सकती है। मानसिक तनाव के साथ ही आपके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सूर्य ग्रहण के प्रभाव से आपके खर्चे भी पहले से अधिक बढ़ जाएंगे।
वृषभ : सूर्य ग्रहण आपका राशि से 8वें भाव पर पड़ेगा। इसके प्रभाव से आपको कई प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ सकता है। आपकी राशि के लोगों को इस वक्त दुर्घटनाओं से भी सावधान रहने की जरूरत है। आर्थिक रूप से भी तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
मिथुन : सूर्यग्रहण आपकी राशि से 7वें भाव में पडऩे जा रहा है। इस वजह से आपके जीवनसाथी को कुछ परेशानी हो सकती है। आपके संबंधों में तनाव आ सकता है और पार्टनर से किसी प्रकार का झगड़ा भी हो सकता है। आपके स्वास्थ्य के लिए भी यह ग्रहण सही नहीं माना जाएगा।
कर्क : सूर्य ग्रहण कर्क राशि के जातकों के लिए छठें भाव में पडऩे जा रहा है। इनकी राशि के लिए यह सूर्य ग्रहण अच्छे परिणाम देने वाला साबित होगा। इस वक्त में आपके शत्रुओं का नाश होगा और आपको एक नई ऊर्जा का अहसास होगा। कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी इस वक्त आपको सफलता मिल सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
सिंह : इस राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण 5वें भाव में पड़ रहा है और यह ग्रहण आपकी राशि के स्वामी सूर्य को लग रहा है। इसके कारण आपको कुछ कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। मान-सम्मान में कमी आएगी और आपकी संतान को भी कष्ट हो सकता है। प्रेम करने वाले जातकों को भी सावधान रहने की जरूरत है। आपके संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
कन्या : कन्या राशि वालों के लिए सूर्यग्रहण राशि के चौथे भाव में लगने जा रहा है। इस कारण आपकी राशि वालों को अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। यह समय आपके प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन के लिए भी चेतावनी वाला है। खुद के और माता के स्वास्थ्य की भी आपको चिंता करनी चाहिए। अपने उच्चाधिकारियों की बातों पर गौर करें और काम ध्यान से करें।
तुला : सूर्य ग्रहण आपकी राशि के तीसरे भाव में पड़ रहा है। इस कारण इस राशि के जातकों के पराक्रम में अधिक वृद्धि होगी। इस ग्रहण से इनके छोटे-भाई बहनों को किसी तरह की परेशानी हो सकती है। सूर्य ग्रहण के कारण आपका गुस्सा अधिक बढ़ सकता है। दूसरी ओर आपका भाग्य भी इस समय आपका साथ कम देगा।
वृश्चिक : वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण दूसरे भाव में लगने जा रहा है। इसके कारण इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। इस समय इनका पैसा कहीं फंस सकता है। परिवार के लोगों में आपस में भी झगड़ा हो सकता है। आप इस वक्त किसी गंभीर बीमारी से भी घिर सकते हैं।
धनु : धनु राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण सबसे ज्यादा असरदायी होगा, क्योंकि सूर्य ग्रहण आपकी ही राशि पर लगने जा रहा है। इस अवधि में आपकी मानसिक चिंता बढ़ सकती हैं। आपके जीवनसाथी की सेहत भी खराब हो सकती है। आय की तुलना में व्यय भी अधिक होगा। संयम से काम लें और आगे बढ़ें।
मकर : सूर्य ग्रहण आपकी राशि से 12वें भाव में पडऩे जा रहा है। इस वजह से आपके खर्च भी अधिक बढ़ सकते हैं और आपको बीमारियों की वजह से अस्पताल के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं। यहां तक कि कोई शत्रु भी आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं और जीवनसाथी से भी टकराव बढ़ सकता है।
कुंभ : सूर्य ग्रहण आपकी राशि से 11वें भाव में पडऩे जा रहा है। इसके प्रभाव से आपको लाभ होगा और आय में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है। अपने बड़े भाई से भी किसी प्रकार का लाभ हो सकता है। यह समय इनकी सभी इच्छापूर्ति का समय है। इसलिए इस राशि के जातकों को इस समय का अधिक लाभ उठाना चाहिए। लेकिन संतान और प्रेम संबंधों के मामलों में किसी तरह की परेशानी हो सकती है।
मीन : मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण 10वें भाव पर पडऩे जा रहा है। इस समय में नौकरी करने वाले जातकों को अत्याधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस समय में आपके उच्च अधिकारी किसी बात से नाराज हो सकते हैं। इस समय आपकी नौकरी भी जा सकती है या फिर आपका अन्यत्र ट्रांसफर भी हो सकता है।
यह बरतें सावधानियां
किसी भी ग्रहण का चाहे वह सूर्य हो या चंद्र वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से प्रकृति के साथ आम जनजीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहण के दौरान कुछ विशेष सावधानी बरतनी चाहिए जिससे इसके प्रभावों से बचा जा सके। यह ग्रहण भारत के साथ पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण खाड़ी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, चीन और पूर्वी एशिया के बड़े हिस्से में दिखाई देगा। पौष के महीने में पडऩे वाले इस सूर्य ग्रहण से एक दिन पहले मंगल राशि परिवर्तन करके जल तत्व की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे, ऐसे में ग्रहण के 3 से 15 दिनों के भीतर प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, सुनामी और खूब बर्फबारी होने की आशंका है। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण खंडग्रास है। यानी खास माना जा रहा है। खंडग्रास सूर्य ग्रहण उस समय पड़ता हैए जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होते हुए भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। खंडग्रास सूर्य ग्रहण में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होता रहता है। इस घटना को खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते है। अगर हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं की मानें तो सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपको इसके दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल लगता है और सूतक काल के दौरान ही सभी चीजों में तुलसी की पत्तियां डाल देनी चाहिए। मान्यतानुसार, ग्रहणकाल शुभ नहीं होता है इसलिए इस दौरान चीजें दूषित हो जाती हैं। तुलसी की पत्ती डालने से चीजें शुद्ध बनी रहती हैं। इस दौरान तुलसी के पौधे को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए, सूतक काल के बाद तुलसी के पत्तों को ना तोड़ें। सूतक काल के दौरान भोजन में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें। ग्रहण समाप्ति के बाद तुलसी के पत्ते को हटा दें। ग्रहणकाल के दौरान गर्भवती स्त्रियों को खास ख्याल रखना चाहिए। गर्भवती स्त्री को सूर्य ग्रहण में अपने घर से भी बाहर नहीं निकलना चाहिए। चूंकि ग्रहण के दौरान हर तरफ काफी ज्यादा मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिसकी वजह से गर्भवती मां के पेट में पल रहे शिशु पर भी काफी असर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। साथ ही कुछ विशेष कार्य जैसे सुई में धागा नहीं डालना, कुछ काटना, छीलना आदि नहीं करना चाहिए। वैसे तो ग्रहणकाल में भोजन नहीं करना चाहिए लेकिन गर्भवती स्त्री, बीमार व्यक्ति और वृद्धजन के लिए जरूरी नहीं है। चाहे तो इस समय फलाहार ले सकते हैं। सूतककाल लगने के बाद मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो सूर्य ग्रहण आपके लिए अशुभ फल दे सकता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतककाल में आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं और अगर आप संभोग करते हैं तो आपके लिए इस आने वाले सूर्य ग्रहण के प्रभाव मंगलकारी नहीं होंगे। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतककाल में किसी सुनसान जगह पर ना जाएं। ग्रहण के दौरान भोजन और पानी का सेवन न करें। ग्रहण के दौरान आदित्य हृदय स्रोत का पाठ कर सकते हैं। ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें। सूतक काल के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। साथ ही भोजन पकाने और खाने से बचना चाहिए। भगवान की मूर्ति को स्पर्श न करें। इस समय पूजा करना और स्नान करना भी शुभ नहीं माना जाता। मल-मूत्र, दांतों की सफाई, बालों में कंघी आदि कार्य ना करें। ग्रहण को कभी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूतक में व्यसन, बुरे काम, बुरे विचार और झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि इस समय किए गए बुरे कार्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। सूतक काल के दौरान ईश्वर का भजन, आराधना, धार्मिक पुस्तकें और उनके मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। ग्रहण खत्म हो जाने के बाद घर में गंगाजल का छिडक़ाव करके शुद्धिकरण करें। साथ ही घर में ताजा भोजन पकाएं और फिर ग्रहण करें। सूतक खत्म हो जाने के बाद पीने का पानी बदल लें। साथ ही जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना चाहिए, भूखें लोगों को दान करना चाहिए। सूतक के बाद पेड़-पौधे जरूर लगाने चाहिए।
चांद से ढंका रहेगा सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लगने जा रहा है जो वलयाकार होगा। यानी ये ग्रहण पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले इस साल छह जनवरी और दो जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था। भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा जा सकेगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। भारतीय समय अनुसार आंशिक सूर्यग्रहण सुबह आठ बजे आरंभ होगा, जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी। सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढंका रहेगा।
वलयाकार पथ से देश के उत्तर और दक्षिण की ओर बढऩे पर आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि घटती जाएगी। सूर्य का वलयाकार ग्रहण भूमध्य रेखा के निकट उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगा। अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून 2020 को दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के दिन सूर्य भगवान को राहु केतु अपना ग्रास बना लेते हैं। जिसके कारण पृथ्वी पर अंधकार छा जाता ही। सूर्यदेव को इस पीड़ा से निकालने के लिए पृथ्वीं पर जप, तप और हवन किया जाता है। क्योंकि जिस समय राहु केतु सूर्यदेव को अपना ग्रास बनाते हैं। उस समय पृथ्वी पर तो अंधेरा छा ही जाता है। लेकिन उस समय प्राकृतिक आपदाएं, सत्ता परिवर्तन, राजा और प्रजा के बीच में तनाव भी देखने को मिलता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है।
सूर्य ग्रहण की वैज्ञानिक मान्यताएं
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण मात्र एक घटना है। जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच में आ जाता है। उस समय सूर्य ग्रहण होता है। जो केवल एक मात्र साधारण सी घटना है। इसका आमजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यह एक दुर्लभ नजारा होता है। जिसे नंगी आखों से नहीं देखना चाहिए। बल्कि किसी न किसी उपकरण के माध्यम से ही देखना चाहिए। जिससे आंखों पर इसका कोई बुरा असर न पड़े। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक साल में दो या तीन सूर्यग्रहण पड़ते हैं। जिसमें पूर्ण सूर्यग्रहण और आंशिक सूर्य ग्रहण भी होता है।